विग्रह जैसे ही ड्राइविंग सीट की तरफ बढ़ने लगा तभी उसके कानों में पायल के घुंघरू की आवाज़ आने लगी जिन्हें सुनकर उसने बैचेन हो कर सामने देखा तो उसकी मासूम सी राजा सिर पर पल्लू लिए तेजी से बाहर की तरफ भागते हुए आ रही थी। उसे इस तरह भागता देख विग्रह तुरंत आगे आया और बोला -
आराम से आओ.. गिर जाओगी..!!
शर्वाणी ने अपनी गति धीमी की और लॉन में आकर खड़ी हो गई। विग्रह ने एक नज़र उसे देखा और वहां से जाते हुए अपनी मां को शर्वाणी की तरफ इशारा किया जिसका मतलब समझ प्राथना जी ने हा में अपनी गर्दन हिला दी और विग्रह कार में बैठ कर बिना किसी की तरफ देखे वहां से निकल गया। विग्रह के जाते ही शर्वाणी मायूस हो गई। उसकी उदासी देखकर वैशाली बोली -
आप अकेली नहीं सो पाए तो हम चले आपके साथ?
शर्वाणी आदर से बोली नहीं जीजी! आपको कष्ट लेने की आवश्यकता नहीं हम सो जायेंगे.. आप वीर के पास जाइए..!!
वैशाली ने हा कहा और अपने कमरे में चली गई। प्रयागराज जी भी अपने कमरे में चले गए। हालांकि किसी को भी नींद नहीं आने वाली थी आज। प्रार्थना जी शर्वाणी के पास आकर उसके गाल सहलाते हुए बोली-
माफ कीजियेगा बेटा! लेकिन नवविवाहित जोड़े के साथ अक्सर ऐसा ही होता है उन्हें ठीक से मिलने, बात करने का और एक दूसरे के साथ समय बिताने का अवसर ही बहुत कम मिलता है एक रात ही तो होती है जब हम अपने जीवनसाथी के पास होते हैं उससे बात करते हैं उसकी बात सुनते हैं एक दूसरे को जानते हैं समझते हैं और अगर वो रात भी हमसे छीन ली जाए तो बहुत बुरा लगता है यह हम अपने व्यक्तिगत अनुभव से कह रहे हैं आइए आपको बहुत कुछ बताते हैं..!!
शर्वाणी और प्राथना जी सोफे पर बैठ गई। प्रार्थना जी उसका कोमल सा हाथ पकड़ कर प्यार से बोली -
आपको पता है बेटा जब हमारा विवाह हुआ था तो हम भी 18 वर्ष के ही थे और आपके बाबा साहब काफी बड़े हैं हमसे हमें तो इतनी अकल भी नहीं थी उस समय.. ना जानते थे कि पति पत्नी का रिश्ता होता क्या है माता-पिता ने विवाह तय कर दिया और बिना कुछ समझाएं कहे ससुराल रवाना कर दिया हम भी नादान से थे सब कुछ नया-नया और अच्छा-अच्छा लग रहा था लेकिन जब यहां आए सारी जिम्मेदारी कांधे पर आई तब जाकर पता चला कि हां अब जिंदगी पूरी तरह से बदल गई है.. जिम्मेदारियां तो फिर भी ठीक थी लेकिन हमें आन ही नहीं था कि पति-पत्नी का रिश्ता किस तरह का होता है लेकिन हमारे जीवन साथी यानी कि हमारे पति ने हमारा पूरा साथ दिया हमें समझाया.. आप विश्वास नहीं करेंगे लेकिन हमारे विवाह के लगभग 20-25 दिन तक भी हम दोनों के बीच में शारीरिक संबंध नहीं बने थे इसका कारण यह नहीं था कि हम दोनों दूसरे को पसंद नहीं करते थे बहुत पसंद करते थे बहुत प्यार भी करते थे लेकिन आपके ससुर जी ने सोचा की छोटी सी बच्ची को थोड़ा समय देना चाहिए समझने के लिए और वैसे भी विवाह के बाद एक दो महीने तक तो समय ही नहीं मिलता रीति रिवाज करने पड़ते हैं कभी कहां जाना पड़ता है कभी कहां तो बस इन्हीं सब चक्कर में एक महीना गुजर गया उसके बाद जब सब कुछ शांत हुआ थोड़ा-थोड़ा हम भी समझने लगे तब हम और आपके ससुर जी अपने रिश्ते में आगे बढ़े थे कोई बीच में नहीं आया और अपने अनुभव के कारण और एक मां होने के नाते हम देख सकते हैं कि आपके और कुंवर राजा के बीच में भी काफी रुकावटें आ रही है लेकिन कोई बात नहीं बेटा यह रुकावटें अस्थाई है जल्दी ही सब ठीक हो जाएगा..!!
प्रार्थना जी की बातें सुनकर कुछ हद तक शर्वाणी को सुकून मिला अब उसे लग रहा था कि हर पति-पत्नी के साथ ऐसा ही होता है वैसे भी उनके विवाह को तो कुछ दिन ही हुए हैं ऐसे में रुकावटें तो आएंगे ही और सासू मां खुद अपने अनुभव से कह रही है फिर तो शर्वाणी को शांति रखनी चाहिए इस तरह उदास नहीं होना चाहिए। नादान सी शर्वाणी के चेहरे पर मुस्कान आ गई और वह धीमी आवाज में बोली-
आप सही कह रही है मां सा। लेकिन कल हमें मामा जी लेने आ रहे हैं क्या हमें नहीं जाना चाहिए??
प्राथना जी क्यों नहीं जाना चाहिए? अरे बेटा आपको बिल्कुल जाना चाहिए आप तो जानती ही हैं आपका विवाह किन हालातो में हुआ है आपके पिता ने बड़ी मुश्किल से इस रिश्ते को स्वीकार किया था ऐसे में आपको अपने मायके के प्रति भी जिम्मेदारियां निभानी होगी हमारी तरफ से आपको कोई रोक-टोक नहीं है हम खुद चाहते हैं कि आप ससुराल और मायके दोनों तरफ जिम्मेदारी निभाइए कहीं पर भी कमी मत रखिए अगर आप मामा जी के यहां नहीं गई तो सबसे ज्यादा बुरा आपके पति को ही लगेगा क्योंकि आपके पति को रिश्ते निभाने में बहुत विश्वास है वह रिश्ते तोड़ने में यकीन नहीं रखते हैं तभी तो उन्होंने कितना धैर्य रखा हुआ है आपके पिताजी के मामले में.. आप खुद जानती हैं अगर वे चाहे तो गुस्सा कर सकते हैं लेकिन वे नहीं कर रहे हैं क्यों क्योंकि उन्हें रिश्तो की कद्र है बेटा। ऐसे में अगर आप मामा जी के यहां विवाह में नहीं जाएंगे तो कुंवर राजा को कितना बुरा लगेगा? हमारी बात मानिए तो सब कुछ भूल कर सिर्फ अपने पति के चेहरे को याद रखिए आपके पति आपसे क्या कहते हैं वही कीजिए क्योंकि जो आपके पति है ना वह इस दुनिया में सबसे समझदार इसान है शायद हम भी इतने समझदार नहीं है ना ही उनके पापा इतने समझदार है लेकिन हमारे बेटे में बहुत ज्यादा समझदारी है उन्होंने दुनिया बहुत ज्यादा देख ली है मात्र अठाईस वर्ष की आयु में.. उन्हें बहुत कद्र है रिश्ते नातों की इसलिए उनकी हर बात मान कीजिए.. चलिए अब आप आराम से सो जाइए कल सुबह आपको निकलना भी है..!!
विग्रह की बातें सुनकर ही शर्वाणी के गाल लाल हो गए। एक बेहद हसीन तरंग उसके अंग अंग में दौड़ने लगी उसे दीवाना बनाने लगी विग्रहराज सूर्यवंशी का। अपने पति के मोहपाश में तल्लीन होकर वो नादान लड़की ऊपर अपने कमरे में आ गई। शर्वाणी की आंखों में एक अलग ही नसा और तूफान नजर आ रहा था अपने पति के लिए।
कमरे में आकर उसने सिर पर से पल्लू हटा दिया और दीवार पर टंगी विग्रह की हैंडसम और हॉट तस्वीर को शरमाते हुए देखने लगी।
उसने विग्रह की तस्वीर पर अपने होंठ रख दिए और मदहोशी से बोली-
I love you मिस्टर विग्रहराज सूर्यवंशी!!! I love you so much..!!
शर्वाणी के इतना कहते ही उससे कई किलोमीटर दूर हॉस्पिटल की लॉबी में टहल रहे विग्रह राज का सीना अचानक ही ऊपर नीचे होने लगा और दिल की धड़कनें बढ़ने लगी। उसने अपनी मुठ्ठी भींच ली और बेताबी से बोला-
शर्वाणी !!!!! हमसे प्यार करती हो लेकिन कहती नहीं हो..!!!
विग्रह ने अपनी आंखे बंद कर ली और स्वयं पर नियंत्रण रखने लगा मगर आज शर्वाणी कोई नियंत्रण रखने के मूड में नहीं थी। उसने तस्वीर में विग्रह के पतले गुलाबी होठों पर अपनी उंगली फेरते हुए कहा -
भला कोई मर्द इतना खूबसूरत कैसे हो सकता है??
शर्वाणी उसी तस्वीर के पास ज़मीन पर बिस्तर लगा कर बैठ गई और देर तक असीम प्रेम और तड़प से अपने पति को देखते हुए वहीं सो गई।
सुबह के पांच बजे......
विवेक राज और विग्रह राज दादी सा को लेकर घर पहुंच गए। लॉन में आकर उनकी गाड़ी रुकी। विग्रह और विवेक गाड़ी से बाहर निकले और दादी सा का हाथ पकड़ उन्हें भी बाहर निकाला और जैसे ही सदन के अंदर जाने लगे तभी द्वार पर शर्वाणी आकर खड़ी हो गई। पीले रंग की साड़ी पहने वो गुलाब का फूल आज गेंदे का फूल लग रहा था। इतनी सुबह सुबह उसका निराला रूप देखते ही राज सर की सारी थकान दूर हो गई और बेपनाह इश्क की आग लगने लगी।
सिर पर पल्लू लिए और प्यारी सी मुस्कान लिए शर्वाणी ने हाथ जोड़कर आदर से कहा-
खम्मा घणी दादी सा! खम्मा घणी भाई सा!!
उफ़्फ उसकी तो आवाज़ सुनकर भी विग्रह का अंग अंग खिल उठा और वो एक टक उसे देखता रहा। वहीं विवेक और दादी सा ने भी उसकी घणी खम्मा किया। विवेक दादी सा को अंदर ले जाते हुए बोला -
छोटे !! आप आराम कीजिए हम दादी सा को उनके कमरे तक छोड़ देते है..!!
विवेक दादी सा को लेकर चला गया। उसके जाते ही शर्वाणी भी वहां से जाने लगी तभी विग्रह ने उसका हाथ पकड़ लिया और बेताबी से बोला -
कहां जा रही हो हमें छोड़ कर??
शर्वाणी का तन बदन सिहर उठा अपने पति की छुअन पाकर। वो शर्माती हुई उसकी तरफ मुड़ी और नज़रे झुका कर बोली -
आपके लिए कॉफी बनाने..!!
विग्रह उसकी झुकी हुई पलकों को देखते हुए जुनून से बोला -
सोई नहीं?
शर्वाणी ने ना में अपनी गर्दन हिला दी तो विग्रह उसके चेहरे पर आते बालों की लट को कान के पीछे करते हुए बोला -
नींद नहीं आती क्या?
ये सुनकर शर्वाणी शर्माते हुए बोली -
आप इस तरह नींदें उड़ा कर चले गए तो हम कैसे सो पाते..!!
शर्वाणी की ये बात सुनकर विग्रह नशे में चूर होकर बोला-
हमें तो आपके होश भी उड़ाने है बस समय की ऐसी कमी आ रही हैं कि........!!!!
ये सुनते ही शर्वाणी शर्म से पानी पानी हो गई उसने जल्दी से अपना हाथ छुड़ा लिया और ठुमकते हुए किचन में भाग गई। विग्रह बेहद आकर्षक तरीके से मुस्कुराता हुआ ऊपर अपने कमरे में चला गया। नहा धोकर तैयार होकर राज सर नीचे आएं तब तक सब लोग उठ चुके थे और डाइनिंग एरिया में बैठे हुए थे जहां आकर विग्रह भी बैठ गया। शर्वाणी ने सबके लिए चाय कॉफी और नास्ता बना लिया था। ये सब देख कर प्राथना जी और वैशाली को उस पर गर्व महसूस हुआ। शर्वाणी इस समय सबको नाश्ता परोस रही थी। और विग्रह की नजरों की तपिश से खुद को बचाने की कोशिश कर रही थी। सब लोग नाश्ते में व्यस्त थे तभी एक नौकर आया और बोला-
छोटी बिंदनी के मायके से कोई आया है..!!
ये सुनते ही विग्रह और शर्वाणी ने तुरंत एक दूसरे की तरफ देखा और दोनों ही तड़प उठे।
प्रयागराज जी, विवेक राज और विग्रह राज तुरंत अपनी जगह से खड़े हुए और हॉल में आएं जहां शर्वाणी के मामा जी बैठे हुए थे। उन्हें देखते ही विग्रह ने आदर से उनके पैर छुए मगर अंदर ही अंदर दुखी होने लगा क्योंकि अब उनकी राजा कल शाम तक के लिए उनसे दूर चली जाएगी। मामा जी को सम्मान के साथ बिठाया गया और उनका स्वागत सत्कार किया गया। मगर शर्वाणी का मुंह उतर गया था उसे नहीं जाना अपने पति से दूर कहीं भी। क्यों सब लोग उसे बार बार विग्रह से दूर भेज देते है। मामा जी और बाकी सभी आपस में बातचीत कर रहे थे कुछ देर बाद मामा जी के जाने का समय हुआ तो वे बोले-
जी अगर आपको आज्ञा हो तो हम शर्वाणी को ले जा सकते है?
ये सुनते ही विग्रह ने अपनी मुठ्ठी भींच ली मगर दिल पर पत्थर रख दिया और प्रयागराज जी आदर से बोले-
जी ब्याई जी। हम अभी बुलावा भेज देते है..!!
शर्वाणी को बुलावा भेज दिया गया और वो अपने हाथ में हैंड बैग लेकर, सिर पर पल्लू लिए इस बार थोड़ा लंबा, शर्वाणी हॉल में आई। विग्रह और शर्वाणी एक दूसरे के सामने नहीं देख सकते थे क्योंकि सब लोग वहां उपस्थित थे ऐसे में मर्यादा बनाए रखना आवश्यक था। शर्वाणी दादी सा से मिलकर आई थी और अब अपनी सासू मां, ससुर जी और जेठानी के पैर छूकर आशीर्वाद लिया और जेठ जी को खम्मा घणी कहकर विग्रह के सामने आई और सबके सामने उसके पैर छूने लगी तो विग्रह अपने हाथ दिखाकर उसे पैर छूने से रोकते हुए बोला-
अपना ख्याल रखियेगा..!!
शर्वाणी ने हाथ जोड़ लिए और विग्रह तड़प से उसकी झुकी हुई पलकों को देखे जा रहा था। अपने दिल से उसे पुकार रहा था कि एक दिन तो सामने देख लीजिए उसके बाद तो इन नैनों का मिलन कल रात को ही हो पाएगा। पति की पुकार इतनी सच्ची और शिद्दत भरी थी कि शर्वाणी ने तुरंत अपनी नज़रे उठा कर देखा और दोनों की तड़पती हुई निगाहों का मिलन हो ही गया। होठ खामोश थे लेकिन नयनों की बातें शुरू हो चुकी थी। अचानक ही शर्वाणी की आंखों में आंसू चमक आए जिन्हें देखते ही विग्रह ने सच्ची शिद्दत से अपनी पलके झपका दी जिसे देख शर्वाणी ने स्वयं पर नियंत्रण रखा और अपने मामा जी के साथ वहां से चली गई। शर्वाणी के मामा जी फलोदी शहर में रहते हैं जो जोधपुर जिले की ही एक तहसील है और जोधपुर से 144 km दूरी पर है अर्थात तीन घंटे की पात्रा करनी पड़ती हैं। शर्वाणी सुबह सात बजे निकली थी और दस बजे के आसपास फलोदी पहुंच गई थी वहां जाते ही वो व्यस्त हो गई क्योंकि कल ही विवाह था और आज कई सारी रीति रिवाज और रस्में हो रही थी। शर्वाणी को एक बहन होने के नाते सारी रस्में करनी पड़ रही थी क्योंकि दूल्हे की कोई सगी बहन नहीं थी।
आज का पूरा दिन उसका काम में ही चला गया और रात को ग्यारह बजे जाकर वो फ्री हुई। अलग से कमरा भी नहीं मिला था कि विग्रह से आराम से बात कर सकें। इसलिए सबसे छुपकर वो घर की छत पर आ गई और एक गद्दा लगाकर आराम से बैठ गई। मोबाइल स्क्रीन पर विग्रह के कई मैसेज और कॉल्स देखकर उसे बहुत बुरा लगा मगर क्या कर सकते थे। उसने तुरंत विग्रह को कॉल लगा दिया लेकिन विग्रह ने अटेंड नहीं किया। ये देखकर शर्वाणी घबरा गई कि कहीं राज सर उससे नाराज तो नहीं हो गए? वो बार बार विग्रह को कॉल करने लगी तभी विग्रह ने कॉल अटेंड किया और अपनी दिलकश मर्दाना आवाज़ में बोला- शांत हो जाइए राजा !! हम बाथरूम से थे.!!
अपने पति की आवाज़ सुनते ही शर्वाणी ने चैन की सांस ली और बेचैनी से बोली-
हम तो डर गए थे कि आप नाराज़ हो गए क्या??
विग्रह सोफे पर बैठते हुए अपनी आकर्षक आवाज में प्रेम से बोला-
हम आपसे कभी नाराज़ नहीं हो सकते और ना ही गुस्सा कर सकते है..!!
शर्वाणी प्रेममय होकर बोली-
क्यों??
विग्रह - बोहोत प्यार करते है आपसे हद से ज्यादा..!!
शर्वाणी का दिल धक-धक करने लगा उसने मोबाइल को कस कर पकड़ लिया और अपनी आंखे बंद करके हिम्मत जुटाने लगी। वहीं राज सर उसके जवाब का इंतजार करते हुए बोले-
क्या हुआ बोलिए?
शर्वाणी ने अपने होठ भींच लिए तभी विग्रह फिर से बोला-
क्या हुआ राजा कुछ बोलो भी?
विग्रह के इतना कहते ही शर्वाणी ने अपनी आंखे खोली और एक सांस में ही बोली -
हम आपसे बोहोत प्यार करते है I love you राज सर!!!!!!!!
इतना कहते ही शर्वाणी के हाथ पैर फूलने लगे, पूरा शरीर गर्म होने लगा और सांसों की रफ्तार उसके बस में नहीं रही।
कैसा लगा आज का पार्ट कमेंट करके बताइए दोस्तों?
डियर जुनूनी रीडर्स अब जल्दी ही इनका बोल्ड रोमांस आने वाला है अगर पढ़ना चाहते है तो ढेर सारे कमेंट करते रहिए और मुझे सब्सक्राइब भी करते जाइए जितने ज्यादा सब्सक्राइबर बढ़े
उतना ज्यादा रोमांटिक पार्ट आयेगा विग्रह और शर्वाणी का।
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मिलती हूं आपसे नेक्स्ट पार्ट में।
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