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Episode 187

अपने पति की आवाज़ सुनते ही शर्वाणी ने चैन की सांस ली और बेचैनी से बोली -

हम तो डर गए थे कि आप नाराज़ हो गए क्या??

विग्रह सोफे पर बैठते हुए अपनी आकर्षक आवाज में प्रेम से बोला-

हम आपसे कभी नाराज़ नहीं हो सकते और ना ही गुस्सा कर सकते है..!!

शर्वाणी प्रेममय होकर बोली -

क्यों??

विग्रह - बोहोत प्यार करते है आपसे हद से ज्यादा..!!

शर्वाणी का दिल धक-धक करने लगा उसने मोबाइल को कस कर पकड़ लिया और अपनी आंखे बंद करके हिम्मत जुटाने लगी। वहीं राज सर उसके जवाब का इंतजार करते हुए बोले -

क्या हुआ बोलिए?

शर्वाणी ने अपने होठ भींच लिए तभी विग्रह फिर से बोला-

क्या हुआ राजा कुछ बोलो भी?

विग्रह के इतना कहते ही शर्वाणी ने अपनी आंखे खोली और एक सांस में ही बोली-

हम आपसे बोहोत प्यार करते है I love you राज सर!!!!!!!!

इतना कहते ही शर्वाणी के हाथ पैर फूलने लगे, पूरा शरीर गर्म होने लगा और सांसों की रफ्तार उसके बस में नहीं रही। उसकी हालत खराब होने लगी वहीं राज सर के हाल ए दिल कुछ इस प्रकार थे कि वे सुन्न पड़ गए थे उनके कानों में अभी अभी बस शर्वाणी द्वारा कहे गए शब्द गूंज रहे थे कि हम आपसे बोहोत प्यार करते हैं। विग्रह के पूरे शरीर पर रौंगटे खड़े हो गए, उसके जिस्म का अंग अंग खिल उठा और एक्टिव हो गया, दिल की धड़कनें कुछ इस प्रकार थी कि शान्त होने का नाम नहीं ले रही थी। जिस लड़की से उसने दीवानों की तरह प्यार किया उसका इंतजार किया उसके लिए तड़पे हमेशा यही सोचता रहा कि वह उसे एकतरफा था प्यार करता है लेकिन सच तो कुछ और ही था। आज जाकर इतने सालों के इंतजार, तड़प और तकलीफ के बाद उस लड़की ने अपने प्यार का इजहार किया था उसने स्वीकार किया था कि वह भी विग्रह से प्यार करती है और सबसे ज्यादा करती है। यह कोई छोटी बात नहीं थी विग्रह के लिए। आज का दिन उसके जीवन का सबसे बड़ा सबसे महत्वपूर्ण और सबसे सुंदर दिन है आज जाकर उसका जीवन सफल हुआ है क्योंकि उसकी शर्वाणी अपने प्रेम को स्वीकार किया है। अब विग्रह के जुनून और दीवानगी को बढ़ने से कोई नहीं रोक पाएगा स्वयं उसकी पत्नी भी नहीं।

विग्रह इस समय होश में नहीं था उसके कानों में शर्वाणी द्वारा प्रेम के स्वीकार करने के वे शब्द गूंज रहे थे और वह उन्हीं में खो चुका था बाहर आना ही नहीं जाता था क्योंकि उसे बहुत सुख मिल रहा था। उसके लिए प्रेम का मतलब शारीरिक सुख नहीं है उसके लिए प्रेम का असली अर्थ है अपने प्रेमी को देखना अपने प्रेमी के पास रहना अपने प्रेमी की बातें सुनना अपने प्रेमी की तरफ से भी प्रेम को पाना जो कि आज विग्रह को पूरी तरह से मिल गया था। उसने अपनी आंखें बंद कर ली और अचानक ही उसके होठों पर बेहद आकर्षक मुस्कान आ गई, आंखों में नशा और प्रेम का सागर उमड़ने लगा। अब अपने जुनून में सवार होकर विग्रह ने तुरंत अपनी आंखें खोली जिनमें अपार मोहब्बत, असीम जुनून और अथाह प्रेम का सागर नजर आ रहा था। विग्रह ने अपने मोबाइल को कसकर पकड़ लिया और अपनी आकर्षक आवाज में उसने सिर्फ एक शब्द कहा-

सिर्फ हमारी हो शर्वाणी..!!

इन शब्दों को सुनकर शर्वाणी की जितनी हालत खराब नहीं हुई उससे ज्यादा तो विग्रह की आवाज सुनकर पूरा शरीर कांप उठा। इस आवाज में इतनी दिलकश अदाएं थी इतना नशा और प्रेम भरा हुआ था कि शर्वाणी के शरीर का हर एक अंग हिल उठा था। विग्रह कुछ और कहता इससे पहले ही वो बेचैन और बेसब्र होकर बोली-

प्लीज इससे आगे कुछ मत कहना हम सुनने की स्थिति में नहीं है आप विश्वास नहीं करेंगे लेकिन हमारे हाथ पैर कांप रहे हैं आपसे बहुत शर्म आ रही है अगर आज अभी आप हमारे सामने होते तो शायद हम आपसे नजरे भी नहीं मिला पाते.. हम बस इतना कहेंगे कि जो आपने सुना था वह सब सच था और सच ही रहेगा फिलहाल हम और कुछ नहीं कह सकते अब हम सोने जा रहे हैं शुभ रात्रि राज सर ! उम्मीद करते हैं आप हमारे मन स्थिति को समझेंगे और हमें अभी दोबारा फोन नहीं करेंगे..!!

शर्वाणी ने तुरंत कॉल कट कर दिया और गद्दे पर सिकुड़ कर लेट गया। उसके शरीर का एक एक अंग कांप रहा था। उसे समझ नहीं आ रहा था कि अब वो अपने पति के सामने कैसे जाएगी जब उसने उन्हें I love you कह दिया है? विग्रह उसे किन नजरों से देखेगा? उसके साथ क्या करेगा? अब उन दोनों के बीच क्या होगा? यहीं सब सोच सोच कर शर्वाणी थर थर कांप रही थी वहीं राज सर के चेहरे पर आकर्षक मुस्कान थी, आंखों में नशा और दीवानगी थी और दिल की धड़कनें बेकाबू। उन्होंने अपनी शर्ट उतार दी और बेड के बगल पुल में उतर आएं। पुल का ठंडा पानी जैसे ही उनके सीने को छुआ तो उन्होंने असीम सुख से कहा-

आह राजा!!!!! अब हमें कोई रोक नहीं सकता.. अब हम दोनों के बीच किसी तरह की कोई मर्यादा और झिझक नहीं होगी केवल प्रेम होगा अपार होगा असीम होगा..!!

राज सर ने अपने मोबाइल पर एक हसीन गाना लगाया जिसके बोल कुछ इस तरह से है

लबों को लबों पे सजाओ... क्या हो तुम मुझे अब बताओ...

तोड़ दो खुद को तुम... बाहों में मेरी बाहों में मेरी बाहों में...

ये शब्द और आवाज सुनते ही राज सर की उत्तेजना की सीमा बढ़ती ही गई और नशे में चूर होकर अपनी पत्नी की हसीन अदाएं और उसका रूप स्मरण करते हुए वे गाने के बोल गुनगुनाते हुए बोले-

तेरे एहसासों में भीगे लम्हातो में मुझको डुबाती है तुश्नगी सी है तेरे अदाओं से दिलकश खताओं से इन लम्हों में जिंदगी सी है हया को ज़रा भूल जाओ मेरी ही तरह पेश आओ.. खो भी दो खुद को तुम रातों में तुम मेरी रातों में तुम मेरी रातों में.....

विग्रह का सीना ऊपर नीचे होने लगा और इस समय वो क्या महसूस कर रहा था कितना तड़प रहा था ये सिर्फ़ वो ही जानता है। उसका मन कर रहा था कि अभी उड़कर अपनी पत्नी के पास पहुंच जाएं और उसे अपनी बाहों में छुपा ले। राज सर पुल से बाहर निकल आएं और अपने कमरे के दूसरे सेक्शन में बनी एक केबिनेट से एक महंगी ब्रांड की शराब की बॉटल निकाली और उसे देखकर जुनून से बोले -

माफ़ करना राजा मगर आज आपके इश्क़ के इजहार में हम पिएंगे...!!

विग्रह ने बॉटल को अपने पतले गुलाबी होठों से लगाया और दो तीन घुट पी लिए। राज सर एक तो पहले से ही इतने हॉट और हसीन है ऊपर से शराब पीने से उनकी आंखों में जो नशा छाने लगा था उससे वे बेहद आकर्षक और कातिल लग रहे थे कोई भी लड़की मर मिटे इनके लिए लेकिन ये महाशय केवल अपनी शर्वाणी के दीवाने हैं। विग्रह पूरी रात तड़पता रहा उसने ज्यादा पी भी नहीं लेकिन उसकी तड़प बढ़ती गई शर्वाणी के लिए वहीं शर्वाणी की हालत भी खराब हुए जा रही थी। वो भी इंसान हैं उसकी भी अपनी इच्छाएं और अरमान हैं जो उसे अपने पति से पूरे करने है। आज जो उसके कहा उसके बाद से वो विग्रह के समक्ष जाने से घबरा रही है मगर वो तड़प रही है अपने पति की बाहों में छुप जाने के लिए। पूरी रात वो करवट लेटी रही और विग्रह का नाम लेती रही।

अगले दिन सुबह पांच बजे......

मामा जी का घर था तो बहुत अच्छा और बड़ा लेकिन थोड़ा पौराणिक तरीके से बना हुआ था जिस वजह से आधुनिक सुख सुविधाएं कम थी। पैसों की कोई कमी नहीं थी मामा जी के पास क्योंकि उनकी अपनी बहुत सी जमीन है गांव में जिन्हें उन्होंने किराए पर दिया हुआ था किसान काम करते थे उन पर लेकिन घर उनका पौराणिक तरीके से बना हुआ था जिसमें हर कमरे में अपना पर्सनल अटैच लेटबाथ नहीं था सामूहिक लेटबाथ था जहां पर काफी देर इंतजार करने के बाद नहाने और फ्रेश होने का मौका मिलता था। शर्वाणी जल्दी ही उठ गई थी इसलिए वह नहा धोकर फ्रेश होकर तैयार हो गई थी। आज उसने पचरंगी रंग की हैवी साड़ी पहनी हुई थी जो उसे उसके ससुराल से ही मिली थी।

कल सुबह को दस बजे उसके भाई की बारात दूसरे शहर जाने वाली थी इसलिए बाकी जितनी भी रस्म थी आज सुबह ही हो जाने वाली थी। शर्वाणी के माता पिता, दादा दादी और भाई भी वहां पहुंच गए थे। शर्वाणी काम अवश्य कर रही थी लेकिन रह रहा कर उसका दिल धक-धक कर रहा था कल रात की बात याद आ रही थी उस की किस प्रकार उसने अपने प्रेम को स्वीकार किया था अपने पति के सामने अब जब शाम को उसके पति यहां पर आएंगे तो वह उनसे नज़रें कैसे मिलाएगी? शर्वाणी यही सब सोच रही थी कभी मुस्कुरा जाती कभी शर्मा जाती तो कभी घबरा जाती। वो बस शाम का इंतजार कर भी रही थी और डर भी रही थी। बारह बजे के आसपास घर के आंगन में चेयर्स लगी हुई थी जिन पर मेहमान बैठे हुए थे शर्वाणी उन्हें कचौड़ी और चाय सर्व कर रही थी। सबसे बहुत अच्छे से पेश आ रही थी। उसके पिता जी उसे देखे जा रहे थे उनका मन कर रहा था कि अपनी बच्ची को सीने से लगा ले मगर अपने ही इगो के कारण रुके हुए थे।

शर्वाणी ने बड़ी प्यारी मुस्कान के साथ उन्हें भी नाश्ता दिया तो वे तुरंत बोले-

कभी पापा के पास बैठकर उनसे बात कर लिया करो विवाह क्या हो गया हमें भूल ही गई हो..!!

विक्रम जी की बात सुनकर शर्वाणी मुस्कुराती हुई अपना नाश्ता लेकर उनके पास एक स्टूल पर बैठ गई और बोली -

पापा को कोई बेटी नहीं भूलती तो हम अपने पापा को कैसे भूल सकते हैं..!!

ये सुनते ही विक्रम जी के चेहरे पर मुस्कान आ गई उन्होंने शर्वाणी के सिर पर हाथ रखा और बोले

आप खुश तो है ना अपने ससुराल में आपको कोई दुख तो नहीं देता है ना आपके सास ससुर आपको परेशान तो नहीं करते हैं ना और वो आपके पति ठीक से तो बात करते हैं ना आपसे सच बताना आप खुश तो है ना? आपके विवाह को ज्यादा समय नहीं हुआ है लेकिन आप इतनी पतली कैसे हो रही है आपका शरीर तो बहुत भरा भरा रहता है आपके गाल अंदर कैसे जा रहे हैं आपको ठीक से खाना तो दिया जाता है ना कहीं आपके साथ कुछ गलत तो नहीं किया जा रहा है ना हमें सब कुछ सच-सच बताइए बेटा..!!

विक्रम जी की बातें सुनकर शर्वाणी हैरानी से बोली-

पापा! ये आप कैसी बातें कर रहे हैं और हम कहां पतले हुए हैं आपको विश्वास नहीं होगा हमारा 2 किलो वजन बढ़ गया है वहां हमें कोई काम ही नहीं करना पड़ता है सारा काम नौकर कर देते हैं यहां तक की एक वक्त का खाना भी नौकर बनाते हैं और दूसरे वक्त का खाना कभी जेठानी जी बना देती है तो कभी सासू मां बना देती है हमारा नंबर ही नहीं लगता और रही बात सबके व्यवहार की तो सब लोग हमें बहुत प्यार करते हैं बहुत सम्मान करते हैं हमारा.. हमें वहां पर बहू की तरह नहीं बेटी की तरह ट्रीट किया जाता है सब लोग हमें बच्ची ही समझते हैं और रही बात आपके जमाई सा की तो उनसे ज्यादा अच्छा इंसान इस दुनिया में कोई नहीं है वे हमारे पति कम और हमारे अभिभावक ज्यादा है और इसी बात की खुशी है हमें आप चिंता मत कीजिए आपकी बेटी बहुत खुश है अपने ससुराल में..।।

शर्याणी खुश है उसे परेशान नहीं किया जाता इस बात से विक्रम जी को सुकून मिला लेकिन अपनी बेटी के मुंह से अपने पति और ससुराल वालों की तारीफें सुनकर विक्रम जी को न जाने क्यों गुस्सा आने लगा उन्हें जलन होने लगी लेकिन इस समय उन्होंने अपने गुस्से का त्याग किया और जितना ज्यादा हो सके अपनी बेटी के साथ समय बिताने लगे वरना शाम को तो वह घमंडी सूर्यवंशी यहां पर आ जाएगा फिर उनकी बेटी उसके पास चली जाएगी। विक्रम जी प्यार से बोले

क्या आप अपने हाथों से अपने पापा को कचौड़ी नहीं खिलाएंगे??

शर्वाणी मुस्कुराने लगी उसने कचौड़ी का छोटा सा पीस लिया और जैसे ही विक्रम जी को खिलाने लगी तभी शौर्य तेजी से घर के आंगन में आया और खुशी से बोला-

जीजा सा आ गए है..!!

ये सुनते ही शर्वाणी के हाथ हवा में ही रह गए और विक्रम जी का मुह खुला का खुला रह गया। शर्वाणी पूरा शरीर कांप रहा था क्योंकि वह विग्रह का सामना नहीं कर सकती विग्रह तो शाम को आने वाला था पूरे परिवार के साथ फिर वह इस समय कैसे आ गया कहीं कल रात को जो शर्वाणी ने उससे कहा उसे सुनकर वह तुरंत यहां तो नहीं आ गया। यही सब सोच सोच कर शर्वाणी की सांसे तेज होने लगी वो तुरंत अपनी जगह से खड़ी हो गई यह देखकर विक्रम जी को बहुत गुस्सा आया उन्होंने सोचा था कि वे अपनी बेटी के साथ समय बिताएंगे उससे ढेर सारी बातें करेंगे लेकिन एक बार फिर वह विग्रह राज सूर्यवंशी बाप बेटी के बीच में आ गया अब तो विक्रम जी को नफरत होने लगी थी उसके नाम से भी। शौर्य की बात सुनते ही मामा जी, श्रवण जी, दीपिका जी, एक दो और रिश्तेदार जल्दी से बाहर गए अपने जमाई राजा के स्वागत के लिए। बाहर लॉन में ब्लैक रेंज रोवर गाड़ी खड़ी थी जिसके इर्द गिर्द गाँव के बच्चे लूम रहे थे उसको घेर कर खड़े खुश हुए जा रहे थे इतनी महंगी गाड़ी पहली बार जो देखी थी। तभी गाड़ी का दरवाजा खुला और द मोस्ट हैंडसम और डैशिंग मर्द विग्रह राज सूर्यवंशी ये शर्ट और ब्लैक पैंट में अपने सभ्य शालीन रूप से गाड़ी से बाहर निकल आएं। विग्रह को देखते ही बच्चे खुशी से कूदने लगे और उससे चिपकने लगे।

ये देखकर शौर्य तुरंत उनकी तरफ भागा और उन्हें विग्रह से दूर करते हुए बोला -

अरे हटो बदमाशी मत करो हमारे जीजा जी को परेशान मत करो..!!

बच्चे शौर्य को जीभ दिखाकर फिर से विग्रह से चिपकने लगे। ये देखकर श्रवण जी, मामा जी और दीपिका जी घबराने लगे कि कहीं विग्रह बुरा ना मान जाएं। क्योंकि वो शहर का साफ सुथरा और उच्च लेवल का शालीन व्यक्ति है और ये गांव के बच्चे जो मिट्टी से सने हुए थे और विग्रह से चिपक रहे थे। परिवार वाले जल्दी से आगे आएं और मामा जी बच्चों को डांटने लगे तभी विग्रह अपनी सौम्य आवाज और मुस्कान लिए बोला-

रहने दीजिए मामा जी। बच्चों पर गुस्सा नहीं करते ये तो ईश्वर का नन्हा सा उपहार होते हैं.. अच्छा बच्चों आप सब चॉकलेट्स खाएंगे??

बिग्रह के इतना कहते ही बच्चे एक साथ खुशी से हा कहने लगे और विग्रह ने अपने ड्राइवर को इशारा किया तो उसने जल्दी से गाड़ी में से ढेर सारी चॉकलेट्स निकाल कर विग्रह को धमा दी। विग्रह प्यार से एक एक बच्चे को चॉकलेट देने लगा अंत में उसने एक चॉकलेट बचा कर अपनी पैंट की जेब में डाल दी अपनी खुद की नादान लड़की के लिए। दरअसल ये सारी चॉकलेट्स विग्रह अपनी पत्नी के लिए ही लाया था मगर बच्चों को दे दी। विग्रह राज का इतना बड़ा आदमी होने के बावजूद इतना नम्र और जमीन से जुड़ा होना सबको भा गया खास करके दीपिका जी को। उन्हें तो विग्रह पहली नजर में ही पसन्द आ गया था मगर उन्होंने सोचा नहीं था कि यहीं व्यक्ति उनका जमाई बन जाएगा। बच्चे अब वहां से जा चुके थे और मामा जी, श्रवण जी ने मिलकर विग्रह का स्वागत सत्कार करते हुए हाथ जोड़ लिए तभी विग्रह सभी बड़ों के पैर छूकर आशीर्वाद लिया और आदर से बोला-

कैसी चल रही है विवाह की तैयारीयां??

मामा जी खुशी से बोले बस आपके आने से माहौल में रंग घुल जाएगा..।।

विग्रह मुस्कुराते हुए- जी जी अवश्य ।।

इतना कहकर विग्रह ने ड्राइवर और एक गार्ड को इशारा किया तो उन दोनों ने गाड़ी की डिक्की से ढेर सारे उपहार, शगुन के पैसे, फल, कपड़े और भी बहुत कुछ निकाला और विग्रह बोला-

ये पूरे सूर्यवंशी परिवार की तरफ से विवाह की भेंट मामा जी!!

इतने सारे उपहार को देखकर मामा जी तुरंत बोले-

नहीं-नहीं जमाई सा। इन सब की जरूरत नहीं है हम सिर्फ भाव और रिश्तों के भूखे हैं आप पधारे हैं हमारे लिए यही बहुत बड़ी बात है हम इन उपहार को स्वीकार नहीं कर सकते क्यों सही कहा ना हमने ब्याई जी!!

श्रवण जी हां सही कह रहे हैं आप इतने उपहार की आवश्यकता नहीं थी जमाई सा! आपका आना ही बहुत बड़ा उपहार है हम सबके लिए..!!

श्रवण जी और सुरेश जी की बात सुनकर विग्रह आदर से बोला-

हम समझते हैं आपकी भावनाओं की कद्र भी करते हैं लेकिन ये एक रिवाज़ है जिसका पालन करना हम सबका कर्तव्य है और वैसे भी विवाह के अवसर पर घर आए शगुन को मना नहीं करते अशुभ माना जाता है ऐसा समझ लीजिए ये आपकी बेटी शर्वाणी के घर से ही तो आया है इसमें कौन से बड़ी बात हो गई..!!

अब विग्रह की बात कोई नहीं टाल सकता था इसलिए उन सभी उपहारों को स्वीकार कर लिया गया। शौर्य और विग्रह आपस में गले लग गए और फ़िर इकलौते जमाई राजा को आदर स्वागत के साथ घर के अंदर ले जाने लगे। वह इतना बड़ा शहर नहीं था और छोटा गांव भी नहीं था लेकिन वहां के लोग विग्रह को बहुत घूर रहे थे क्योंकि वह उन सब से बहुत अलग-लग रहा था क्योंकि वह बहुत ज्यादा हैंडसम दिख रहा था और एकदम शालीन लग रहा था हालांकि विग्रह को कोई फर्क नहीं पड़ रहा था कि सब लोग उसे घूर रहे थे वो बस अपनी पत्नी को ढूंढ रहा था कल रात से वह सोया नहीं है उसके दिमाग में सिर्फ शर्वाणी घूम रही थी और उसकी कहीं बात घूम रही थी कि वह भी विग्रह से प्यार करती है। विग्रह जल्दी उसके लिए ही तो आया है ताकि आज का पूरा दिन गांव में शर्वाणी के साथ बिताए और जैसे ही मौका मिले उसे अपने साथ कहीं दूर खेतों में ले जाए और जी भर के उसे अपनी बाहों में भर ले।

कैसा लगा आज का पार्ट कमेंट करके बताइए दोस्तों?

अब विग्रह और शर्वाणी का गांव का हसीन रोमांस भी पढ़ लीजिएगा मजा आने वाला है आने वाले पार्ट्स में।

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मिलती हूं आपसे नेक्स्ट पार्ट में।

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