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Episode 190

विग्रह ने श्रवण जी के आगे हाथ जोड़ लिए और अपनी भूरी निगाहों से एक बार सबको देखते हुए आदर से बोला -

सीधी सी बात यह जहां मान सम्मान और मर्यादा होती हैं विग्रहराज के कदम वहीं टिकते है चाहे फिर वो जगह एक झोपड़ा भी क्यों ना हो..!!

शर्वाणी अपनी मां के पास आकर सिर झुका कर खड़ी हो गई और विग्रह आगे बोला -

जब से विवाह हुआ है पुरोहित जी का रवैया हमारे प्रति अनुचित रहा है हमने सहन किया कदम कदम पर उन्हें माफ़ किया वजह सिर्फ़ शर्वाणी है और आप सबका हमारे प्रति प्रेम और सम्मान किंतु आज हमारी सहनशक्ति ने उत्तर दे दिया और अब हम एक पल भी यहां नहीं रह सकते और न ही हमारी पत्नी.. क्या हुआ कैसे हुआ इसकी विस्तृत जानकारी आपको पुरोहित जी अच्छे से देंगे हमें अब आज्ञा दीजिए और एक बार फिर से आप सबसे खास करके मामा जी से माफी चाहते है किंतु हमारी परिस्थिति को समझिए..!!

विग्रह की बात सुनकर सभी के होश उड़ गए। सब लोग इतना तो समझ गए थे कि इस बार फिर से विक्रम जी ने कुछ किया होगा लेकिन आज ऐसा क्या किया कि विग्रह राज जैसा शांत और सौम्य व्यक्ति भी अपना आपा खो बैठा। विग्रह की बात पूरी होते ही श्रवण जी ने अपनी मुठ्ठी भींच ली और गुस्से से बोले -

विक्रम !!!!!!!!!!

श्रवण जी के क्रोध को देखकर सब लोग घबरा गए ख़ास करके शर्वाणी। वो अपनी मां का हाथ पकड़ कर उनसे चिपकने लगी वहीं विग्रह के चेहरे पर कोई भाव नहीं था लेकिन आंखों में गुस्से की आग भभक रही थी जो तबाही मचाना चाहती थी क्योंकि उस व्यक्ति ने विग्रह के जान से भी ज्यादा प्यारे परिवार को बुरा भला कहा था। श्रवण जी की गुस्सैल आवाज़ सुनकर विक्रम जी तुरंत नीचे आंगन में आएं और सिर झुका कर अपने पिता जी के सामने खड़े हो गए वे समझ गए थे कि उन्हें किस वजह से बुलाया गया है। विक्रम जी को सब लोग यहां तक कि उनकी पत्नी भी गुस्से से देखे जा रही थी तभी श्रवण जी उन्हें देखकर अत्यंत क्रोध में आकर बोले-

आप अभी नहीं समझेंगे और आपको समझाने का कोई फायदा नहीं है लेकिन जब सही समय आएगा तब इतना पछताएंगे इतना रोएंगे जिसकी कोई सीमा नहीं होगी.. जमाना कितना खराब है सब जानते हैं ऐसे में एक बेटी का बाप यही सोचता है कि बेटी को अच्छा पति मिले हमें अच्छा जमाई मिले ताकि हमारा और बेटी का जीवन शांति से बीत जाए बच्ची को सम्मान मिले ससुराल में प्यार मिले पति का साथ मिले वो सब कुछ मिले जो हमारी बेटी डिजर्व करती है और आपको तो बिना मेहनत किए बिना इधर-उधर घूमे सब कुछ मिल गया लेकिन आपको उसकी कद्र नहीं है भगवान रामचंद्र जैसा जमाई मिला है जो इतने ऊंचे खानदान से होने के बावजूद इतना थरातल से जुड़े हुए हैं बड़ों का सम्मान करते हैं आपकी बेटी का सम्मान करते हैं आपका सम्मान करते हैं रीति रिवाज और रिश्तेदारी को निभाने के लिए तुरंत अपना काम बीच में छोड़कर गांव आ गए महलों में रहने वाला राजकुमार आज इस गांव के छोटे से घर में रह रहा है सिर्फ अपने ससुराल के प्रति अपने फर्ज को निभाने के लिए अपनी पत्नी के मायके में उसकी इज्जत बढ़ाने के लिए लेकिन आप बदले में उन्हें अपमान दे रहे हैं बार-बार उन्हें एहसास करवा रहे हैं जबकि उनकी कोई गलती ही नहीं है.. बहुत भाग्यशाली है आप जो आपको हीरा मिला है इतना अच्छा जमाई मिला है जो लाख कोशिशें के बाद भी लोगों को नहीं मिलता है कहना तो नहीं चाहिए लेकिन आप जैसे इंसान ऐसे जमाई को डिजर्व करता है जो पसीने छुटवा दे आपके रोज आपकी नाक काटे रोज आपकी बेटी को परेशान करें हर जगह आपकी बेइज्जती करें आपको एहसास करवा दे कि आप नीचे हैं और वो हर मायने में आपसे ऊपर है.. अब सर झुकाने से नज़रे चुराने से कुछ नहीं होगा बेटा! आज हमारे आंगन से बेटी और जमाई दुखी होकर जा रहे हैं इससे बड़ा श्राप और कुछ नहीं हो सकता हम सबके लिए जिसका परिणाम न जाने कितना बुरा होगा क्योंकि कहते हैं ना एक सच्चे और अच्छे इंसान का दिल जब दुखता है जब उसकी आत्मा होती है तब परिणाम सबको भुगतना पड़ता है और हमसे अब किसी भी तरह की कोई उम्मीद मत रखना हम आपके व्यवहार से परेशान हो चुके हैं इतने समय से हम चुप थे सब कुछ देख रहे थे लगा कि शायद आप नाराज है लेकिन आप नाराज नहीं है आपके अंदर झूठा अहंकार है और अहंकार का परिणाम पूरा इतिहास गवाह है याद रखना..!!

श्रावण जी के एक एक शब्द ने सबको हो रुला दिया विक्रम जी की आंख से आंसू की एक बूंद निकल आई वहीं विग्रह अभी भी पत्थर की मूर्ति बनकर खड़ा था जिसे देखकर शर्वाणी दुखी हुए जा रही थी। दादा जी ने गहरी सांस ली और सिर झुका कर विग्रह के आगे हाथ जोड़ने लगे तभी विग्रह ने उनके हाथ थाम लिए और अपनी दमदार आवाज़ में आदर से बोला -

इतने नीचे संस्कार नहीं हमारे कि हमारे दादा समान इंसान को हम अपने आगे हाथ जोड़ने दे.. बहुत उच्च विचार और संस्कार है हमारे खानदान के.. ये सब होते हुए हम नहीं देख सकते हम आप सब से इतना ही कहेंगे कि हमारे दिल में किसी के लिए कोई नफरत कोई बैर और कोई द्वेष भावना नहीं बचपन से हमारे माता-पिता ने हमें माफ करना सिखाया है भूल जाना सिखाया है जिसका परिणाम ही है कि हम आज भी पुरोहित जी को माफ करते हैं लेकिन इसके अलावा माता-पिता ने हमें आत्म सम्मान के पाठ के पढ़ाए हैं जिसके अनुसार हम और हमारी पत्नी अब विवाह के किसी भी फंक्शन में शामिल नहीं होंगे हम मुस्कुरा कर जा रहे हैं खुशी से जा रहे हैं अपने आत्मसम्मान को साथ में लेकर जा रहे हैं इसलिए हमें आज्ञा दीजिए..!!

इतना कहकर विग्रह ने पूरे परिवार के आगे हाथ जोड़ कर उन्हें नमस्ते किया। लेकिन सब के सब दुखी होकर उसे देखे जा रहे थे यहां तक कि विक्रम जी के कानों में आज विग्रह के शब्द तीर की तरह चुभ रहे थे और उन्हें एहसास हो रहा था कि उनसे कुछ ज्यादा ही बड़ी गलती हुई है। वे विग्रह से बात करना चाहते थे लेकिन किस मुंह से? सुरेश जी आगे आएं और विग्रह के आगे हाथ जोड़कर उसे रोकने की कोशिश करने लगे लेकिन विग्रह ने बड़े प्यार और आदर से सबको रोक दिया और बिना शर्वाणी की तरफ देखे बोला-

चलिए..!!

इतना कहकर विग्रह बाहर निकल गया तभी शौर्य ने उसके हाथ से दोनों बैग्स ले लिए और आंखों में आंसू लिए बोला-

जीजा सा!!!!!!! मान गए आपको सच में आपके जैसा कोई नहीं कोई भी नहीं.. हम आपको रोकेंगे नहीं क्योंकि आप अपने आत्मसम्मान के साथ जा रहे हैं लेकिन आपके गले लगना चाहते हैं हम..!!

शौर्य की बात सुनकर विग्रह के होठों पर शांत और सौम्य मुस्कान आ गई और उसने उसे अपने सीने से लगा लिया और उसकी पीठ सहलाते हुए बोला -

आपकी बहन हमारी लाडली है जीव की जड़ी है तो आप भी हमारे लाडले हो.. खुश रहो जल्दी मिलेंगे..!!

विग्रह का ऐसा व्यवहार विक्रम जी को और शर्मिंदा महसूस करवा रहा था वहीं सब लोग भावुक हुए जा रहे थे लेकिन विग्रह मुस्करा रहा था लेकिन उसके दिल और दिमाग़ में कितना तूफान चल रहा था ये सिर्फ वो या उसकी शर्वाणी जानती है। शौर्य विग्रह के साथ बैग्स लेकर बाहर चला गया पीछे पीछे सभी लोग चले गए वहीं आंगन में विक्रम जी नज़रे झुका कर खड़े थे और शर्वाणी दीपिका जी के गले लग कर भावुकता से बोली-

हम रोएंगे नहीं क्योंकि ये विवाह का घर हैं और हम अपने मामा जी के घर में शुभ अवसर पर अशुभ गतिविधियां नहीं कर सकते लेकिन मम्मी!!!! आज पापा ने बोहोत गलत किया है उसे इंसान का दिल दुखाया है जो कभी किसी का बुरा नहीं सोचते उन्होंने सिर्फ हमसे आपकी परमिशन के बिना ही तो विवाह किया था किसी का खून थोड़ी ना किया था और आज हम आपको बहुत बड़ी सच्चाई बताएंगे जिसे सुनकर आपके पैरों तले जमीन खिसक जाएगी जिसका आप सब ने राज सर पर इल्जाम लगाया था ना कि उन्होंने एक लड़के का हाथ काट दिया था उसके साथ बेरहमी की थी क्योंकि उस लड़के ने एक लड़की के साथ जबरदस्ती करने की कोशिश की थी तो वो लड़की कोई और नहीं हम ही है उस नीच लड़के ने हमारे साथ जबरदस्ती करने की कोशिश की थी हमारी इज्जत मिट्टी में मिलाने की कोशिश की थी लेकिन अगर राज सर समय पर नहीं आते तो हम किसी को मुंह दिखाने लायक नहीं बचते तन से लूट जाते हम अगर हमारे पति सही समय पर हमें बचाने नहीं आते और उसी इंसान को आपने कितना बुरा भला कहा हमने कहा था न पापा! सोचे समझे बिना किसी पर इल्जाम नहीं लगाते क्योंकि हमें नहीं पता है असली सच्चाई क्या है राज सर ने हमें मना किया था किसी को बताने से लेकिन आज हमने बता दिया..!!

इतना कहकर शर्वाणी सिर पर पल्लू को अच्छे से सेट करते हुए वहां से चली गई और अपना हैंड बैग लेकर वापस आंगन में आई और बोली-

मम्मी !!! पापा को अकेला मत छोड़ना इनका ख्याल रखना..!!

इतना कहकर शर्वाणी बाहर निकल गई और उसके कहे एक एक शब्द ने विक्रम जी को अंदर तक हिला दिया और दीपिका जी के तो होश उड़ गए थे। किसी भी माता पिता के लिए ये बहुत बड़ा झटका होता है कि उनकी मासूम सी बच्ची के साथ किसी ने जबरदस्ती करने की कोशिश की हो उसकी इज़्ज़त लूटना चाहा हो और उनकी नादान शर्वाणी के साथ अतीत में ये सब हुआ था उन्हें तो जानकारी तक नहीं थी और उस बुरे हादसे को होने से रोकने वाला कोई और नहीं विग्रहराज सूर्यवंशी ही था जिसे विक्रम जी ने हमेशा से गलत ही समझा लेकिन वो तो सच में एक महान इंसान निकला। विक्रम जी अब एक बाप के नजरों से सोच रहे थे कि अगर विग्रह सही समय पर नहीं जाता तो उनकी बच्ची के साथ न जाने क्या-क्या हो जाता। इतने किस्से हम सुनते है किसी लड़की के साथ क्या-क्या नहीं होता अगर उनकी बच्ची के साथ ऐसा होता तो वह क्या करते हैं वह तो जीते जी मर जाते लेकिन विग्रह ने सब कुछ ठीक कर दिया बचा लिया उनकी बेटी को और उसी लड़की को अपनी पत्नी भी बनाया इससे बड़ी बात और क्या हो सकती है।

विक्रम जी और दीपिका जी आंखों में आंसू लिए चुपचाप वहां खड़े रहे वहीं बाहर विग्रह ने शर्वाणी को बिठाया गाड़ी में और खुद ड्राइविंग सीट पर बैठ गया क्यों उसके ड्राइवर को उसने वापस जोधपुर भेज दिया था। सब लोग हाथ जोड़कर खड़े दुखी होकर विग्रह और शर्वाणी को देखे जा रहे थे और विग्रह ने गाड़ी स्टार्ट कर दी और ले गया अपनी पत्नी को उन सबसे दूर। देर रात हो चुकी थी ऐसे में सड़के भी सुनसान थी जिस पर केवल विग्रह विग्रह की गाड़ी तेज़ी से आगे बढ़ रही थी। कार में ख़ामोशी छाई हुई थी दोनों चुप चाप बैठे हुए थे। शर्वाणी रह रह कर विग्रह के भावहीन चेहरे को देखे जा रही थी उसकी आंखे लाल दिख रही थी जिसे देखकर वो झिझकते हुए बोली -

स..सुनिए..!!

विग्रह ड्राइविंग करते हुए - हम्मम !!

शर्वाणी - आपकी आंखे लाल क्यों हो गई हैं?? आपको बुखार है क्या?

विग्रह - दो रात से सोए नहीं हैं पहले दादी सा का स्वास्थ्य बिगड़ गया था दूसरी रात आपसे बिछड़ना..!!

ये सुनते ही शर्वाणी ने उससे अपनी नज़रे हटा ली और धीमी आवाज में बोली-

जोधपुर यहां से 3 घंटे दूर है और अभी रात के बारह बज रहे हैं ऐसे में आपको ड्राइविंग नहीं करनी चाहिए आपकी नींद भी पूरी नहीं हुई है हम यहीं कहीं किसी होटल में आज की रात रुक जाते हैं ना कल सुबह जल्दी जोधपुर निकल जाएंगे देखिए ना सड़क पर कोई गाड़ी ही नहीं चल रही है और मौसम भी खराब हो रहा है शायद बारिश आने वाली है..!!

विग्रह ने कोई जवाब नहीं दिया और ड्राइविंग करता रहा मगर बार बार उसकी आंखे बंद हो रही थी जिन्हें वो खोलने की पूरी कोशिश कर रहा था। कई बार तो सामने से आती ट्रक भी उसे पास आकर ही दिखाई देती और समय रहते वो साइड हो जाता। ये सब देख कर शर्वाणी घबराने लगी और हाथ जोड़कर बोली-

राज सर!! प्लीज़ हमारी बात मानिए गाड़ी को एक तरफ रोकिए आप ठीक नहीं है..!!

शर्वाणी के बार बार दबाव बनाने पर विग्रह ने सड़क किनारे गाड़ी रोक दी और गुस्से से स्टेयरिंग को कस कर पकड़ा और अपनी आंखे बंद करके तेज़ तेज़ सांस लेते हुए स्वयं को शांत करने लगा। शर्वाणी आंखों में आंसू लिए उसे देखे जा रही थी तभी विग्रह ने अपनी आंखे खोली और सख्ती से बोला -

यहां क्या जंगल में रात गुजारेंगे हम दोनों या इस गाड़ी में?

शर्वाणी ने अपनी नज़रे झुका ली जिसे देखते हुए विग्रह ने अपना फोन निकाला और उस आसपास कोई अच्छी सी होटल की लोकेशन ढूंढने लगा। तीन चार किलोमीटर की दूरी पर ही एक होटल नज़र आ रही थी विग्रह ने अपना फोन शर्वाणी को थमाते हुए कहा-

लोकेशन ट्रैक करो..!!

शर्वाणी ने हा कहा और ट्रैक करने लगा और उसके अनुसार गाड़ी आगे बढ़ने लगी। कुछ देर बाद ही उन्हें वो होटल नज़र आया जिसका नाम था "खम्मा घणी" ज़्यादा बड़ा होटल तो नहीं था लेकिन अच्छा ही था रात रुकने के लिए। विग्रह अपनी गाड़ी लेकर होटल के पार्किंग एरिया में आया और शर्वाणी से अपना फोन लेते हुए बोला-

अंदर ही बैठी रहना हम देखकर आते हैं कि नाम बड़े और दर्शन खोटे ना हो..।।

इतना कहकर विग्रह वहां से चला गया और होटल के इंटरनेस पर आया तो एक गार्ड ने उसे ग्रौट किया। विग्रह होटल के रिसेप्शन पर आया और अपनी तेज़ नजरों से चारों तरफ देखने लगा तभी रिसेप्शनिस्ट आदर से बोला- जी सर हम आपकी कैसी मदद कर सकते है??

विग्रह- लाइसेंस दिखाए? क्या है ना कि हम रिस्क नहीं ले सकते हम पारिवारिक आदमी है और जैसी तैसी होटल में रुक भी नहीं सकते.. अपना लाइसेंस दिखाइए..!! विग्रह का औरा और बोलने का तरीका इतना खतरनाक था कि उस रिसेप्शनिस्ट को अपना लाइसेंस तुरंत उसे दिखाना पड़ा। लाइसेंस देखते हुए विग्रह अपनी दमदार आवाज़ में बोला-

होटल के मालिक का असली नाम क्या है??

रिसेप्शनिस्ट - तेगबहादुर आचार्य !!

विग्रह- हम्म !! वहीं जिनके बड़े बेटे रमन कुमार दिल्ली लोकसभा सीट से संसद के मेंबर हैं..!!

विग्रह की इतनी ऊंची जान पहचान देखकर तो रिसेप्शनिस्ट के पसीने छूट गए अब वो समझ गया कि सामने कोई पहुंची हुई माया ही मौजूद है इसलिए कोई पंगा लेने की जरूरत नहीं। जो जो सवाल विग्रह पूछता गया सारे जवाब मिलते गए। स्वयं को अच्छे से संतुष्ट करने के बाद विग्रह रौब से बोला -

वन नाइट स्टे करना है एक रूम..!!

रिसेप्शनिस्ट ने हा कहा और विग्रह अपने रेशमी बालों में हाथ फेरते हुए होटल से बाहर निकल गया। पार्किंग एरिया में आकर कार में बैठी शर्वाणी की तरफ आया तो देखा वो मासूम सीट से सिर टिका कर आंखे बंद करके बैठी हुई थी। विग्रह अपनी भूरी जुनूनी निगाहों में असीम प्रेम और स्नेह लिए उसे देखे जा रहा था और कांच को नॉक करते हुए बोला -

ए राजा!!!

शर्वाणी ने तुरंत अपनी आंखे खोली और विग्रह के खूबसूरत चेहरे को देखने लगी तभी विग्रह ने गाड़ी का दरवाजा खोला और कहा-

आइए चलते है सोने..!!

"चलते हैं सोने" इन शब्दों को सुनकर न जाने क्यों मगर शर्वाणी का पूरा बदन सिहर उठा और वो चुप चाप अपना हैंडबैग लेकर गाड़ी से बाहर निकल आई। दोनों आगे बढ़ने लगे। ठंडी हवा चल रही थी बदल गरज रहे थे शायद आज भयंकर बारिश आने वाली थी। दोनों साथ में चल रहे थे तभी तेज हवा का झोंका आया और शर्वाणी का पल्लू उसके तन से अलग हो गया जिससे वो घबरा गई तभी विग्रह ने उसे पकड़ कर सीधा अपनी बाहों में छुपा लिया। अपने पति की बाहों में आकर वो बहुत सुरक्षित महसूस कर रही थी और विग्रह उसके तन से पल्लू लगाते हुए बोला -

चलिए अंदर..!!

विग्रह ने उसका हाथ पकड़ा और उसे अपने साथ होटल के अंदर ले गया। रिसेप्शन से अपने रूम की चाबी ली और चला गया किसी स्टाफ को आने नहीं दिया।

Next part coming soon😉

Thank you ❤️

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Khushi

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