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Introduction ❤️

TRAILER.....

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा ॥

कमरा सन्नाटे में डूबा हुआ था! एक मासूम-सी गुड़िया जैसी लड़की सुहाग की सेज पर डरी-सहमी बैठी थी।

उसका राजस्थानी लाल जोड़ा उसकी मासूमियत के विपरीत था-भारी, दमकता हुआ, लेकिन अंदर से वो खुद को बिल्कुल अकेला महसूस कर रही थी।

उसके नाजुक, मेंहदी रचे पाँव हल्के-हल्के थरथरा रहे थे।

छोटा-सा शरीर डर से काँप रहा था, दिल तेज़ी से धड़क रहा था।

"धड़ाम !"

कमरे का दरवाजा झटके से इतनी ज़ोर से खुला कि वो छोटी-सी लड़की अपने अंदर ही सिमट गई। उसका पूरा बदन कांप उठा। चेहरा घूँघट में था, लेकिन वो महसूस कर सकती थी कि कोई भारी कद-काठी का आदमी गुस्से से उसके सामने खड़ा था। जिसे महसूस कर वो अपने सिर को और झुका लेती, लेकिन इससे पहले ही एक ठंडी, मगर गहरी आवाज़ उसके कानों में पड़ी - "हमसे आपकी शादी जरूर हो चुकी है, लेकिन एक बात अच्छी तरह से समझ लो... इस जन्म में तो हम आपको अपनी पत्नी का दर्जा देने से रहे!"

उसकी आवाज़ में इतनी नफरत थी कि वो मासूम और सहम गई।

वो आदमी, जो अब उसका पति था, अपनी उंगलियाँ कसकर मोड़े खड़ा था, आँखों में गुस्से की आग थी।

उसने एक लंबी साँस भरी और दाँत भींचते हुए कहा- "तुमने हमारे प्यार की जगह ली है! सिर्फ तुम्हारी वजह से वो हमसे दूर हुई। और इसके लिए हम तुम्हें कभी माफ नहीं करेंगे। कभी नहीं!"

वो एक पल को रुका, उसकी भिंची हुई मुट्ठियों और कस गईं, फिर उसने उस मासूम को देख तिरस्कार से कहा- "हम अपनी नफरत के साथ जी लेंगे, मगर तुम्हें अपनी ज़िंदगी में शामिल नहीं करेंगे। और हाँ... तुमसे कोई रिश्ता जोड़ने का तो सवाल ही नहीं उठता। तुम्हारा चेहरा भी देखने का मन नहीं करता हमारा !"

उसके शब्द किसी कटार से कम नहीं थे। गुस्से से उसका पूरा शरीर काँप रहा था, मुट्ठियाँ भिंच गई थीं।

वहीं, उस मासूम-सी लड़की की आँखों से आँसू टप टप गिरने लगे। उसका दिल एक ही पल में टुकड़ों में बिखर गया था। वी चाहकर भी कुछ नहीं कह सकी... कुछ भी नहीं।

बस चुपचाप अपनी किस्मत को कोसती, एक नये जीवन की कड़वी सच्चाई को महसूस करती बैठी रही...

"बोलो कुछ।"

वो शख्स गुस्से में चिल्लाया, लेकिन लड़की वैसे ही सहमी बैठी रही। उसकी घबराई उंगलियों कांप रही थीं, लेकिन उसने कोई विरोध नहीं किया। उसके आँसू उसके घूँघट के नीचे ही बह रहे थे, लेकिन वो चाहकर भी एक शब्द नहीं कह पा रही थी।

उसकी यह खामोशी उस शख्स के गुस्से को और भड़का रही थी।

"हमसे शादी कर ली और अब चुप खड़ी हो?"

वो तिलमिला उठा। उसका सन्न टूट गया। उसने झटके से उस नाजुक लड़की को अपनी मज़बूत पकड़ में लिया और झटके से खींचकर बेड से उठा दिया।

"आह..."

वह मासूम सी लड़की दर्द से कराह उठी, मगर अब भी उसने कुछ नहीं कहा।

उसकी कलाई इतनी ज़ोर से पकड़ी गई थी कि शायद कुछ देर में लाल पड़ने लगती। वो तड़प उठी लेकिन विरोध करने की हिम्मत न हुई।

वह शख्स गुस्से में दाँत पीसते हुए बोला- "हमसे शादी कर ली और अब चुप खड़ी हो?"

लेकिन अगले ही पल... लड़की के घूँघट का कपड़ा उसके चेहरे से सरक गया।

और जैसे ही उस शख्स की नज़र उसके मासूम चेहरे पर पड़ी... वो वहीं ठहर गया।

जिस चेहरे से नफरत करनी थी, उसी में वो खो गया था।

वो बड़ी-बड़ी भोली आँखें, जिनमें अब भी आँसू झिलमिला रहे थे, गुलाब की पंखुड़ियों जैसे कांपते होंठ, डर और घबराहट से लाल होता चेहरा ! वो किसी नाजुक कांच की गुड़िया जैसी लग रही थी।

वो उसे घूरता रह गया। कुछ कहना चाहता था, लेकिन शब्द जैसे कहीं गुम हो गए थे।

जिस मासूम चेहरे से उसने इतनी नफरत जताई थी, अब वही उसे बेबस कर रहा था।

वो पत्थर सा कठोर शख्स उस मासूम चेहरे में यूँ खोने लगा था, जैसे जलते सूरज की तपिश में बर्फ का पहाड़ धीरे-धीरे पिघलकर पानी में समा जाता है। जिस नफ़रत की आग में वो अब तक जल रहा था, वही आग अब उसके अंदर ठंडी पड़ने लगी थी, जैसे किसी सख्त पत्थर पर लगातार गिरती बूंदे उसे घिसकर मोम बना देती हैं। वो जिसे तिरस्कार की नज़र से देखना चाहता था, अब उसी मासूम चेहरे पर उसकी आँखें ठहर गई थीं- बिना पलक झपकाए, बिना कुछ कहे, बस डूबते जा रहे थे...!!

"जिसे ठुकराने का इरादा था,

वो सांसों में बसने लगी,

नफरत की आग में जलाने चला था,

पर उसकी मासूमियत मुझे घेरने लगी।"

"हमारे नाम से बंधी हो, तो किसी और की जुबां भी ना छू सके, हम नफरत भी हद से करेंगे, और इश्क़ भी जुनून से करेंगे!"

स्पेशल नोटः

यह कहानी एक ऐसी अरेंज मैरिज की है, जिसमें प्यार से ज्यादा जुनून देखने को मिलेगा ! इसमें सिर्फ रोमांस नहीं, बल्कि पज़ेसिवनेस, सनक और भावनाओं का एक अलग ही रूप देखने को मिलेगा।

यह कहानी है अध्याय और अद्विका के बेटे अधिक की, जो किसी और से बेइंतहा प्यार करता था, लेकिन उसकी शादी उस लड़की से कर दी जाती है, जिसे वह बचपन से ही नापसंद करता था!

क्या नफरत की इस डोर में बंधी शादी कभी प्यार का रूप ले पाएगी?

क्या अधिक अपनी दुल्हन को अपना पाएगा, या फिर नफरत और जुनून के इस खेल में कोई और बाज़ी मार ले जाएगा?

इस कहानी में हर पल आपको प्यार और पजेसिवनेस की एक नई हद देखने को मिलेगी। तो तैयार हो जाइए 'थारो पोसेसीव धणी सा' के लिए, जहां जूनून हर हद पार करेगा!

INTRO❤️❤️.....

"हमारी ज़िंदगी अब तक एक शांत समंदर की तरह बह रही थी, लेकिन समंदर की लहरें कब बेकाबू होकर तूफान में बदल जाएं, इसका अंदाज़ा किसे था? और जब तक़दीर अपने खेल पर उतर आती है, तो वह ना सिर्फ लहरों को उछाल देती है, बल्कि पूरी कश्ती को डुबाने की ताकत रखती है!"

राजस्थान की वो वीर ज़मीन, जहाँ रिश्ते सिर्फ दिल से नहीं, इज्ज़त और हुकूमत से बनते हैं। जहाँ एक औरत सिर्फ एक पत्नी नहीं, बल्कि अपने पति की "इज़्ज़त" और "गुलाम" दोनों होती है। यहाँ प्यार भी शानो-शौकत से होता है, और नफ़रत भी इज़्ज़त के नाम पर की जाती है।

और इसी शानो-शौकत और रौब के बीच जन्मा है अधिक राणा- अद्विका राणा और अध्याय राणा का इकलौता बेटा! राणा परिवार का वारिस, राजस्थान का नया हुकुम सा !

अध्याय राणा के बाद अगर कोई नाम है, जिससे पूरा राजस्थान कांपता है, तो वो है अधिक राणा। न वो कोई राजा है, न मंत्री- पर उसकी हुकूमत के आगे बड़े-बड़े सिर झुकते हैं। क्योंकि अधिक राणा जो चाहता है, वो छीनकर नहीं, बल्कि अपनी शर्तों पर हासिल करता है...

अधिक राणा, जिसे संस्कार और तख्त विरासत में मिले, लेकिन उसका जूनून और सनक उसके खून में बसा है!

30 साल का अधिक राणा, 6 फुट ऊँचा कद, गेरुआ रंग, और ऐसी शख्सियत कि उसके सामने बड़े-बड़े घुटने टेक दें। उसकी चाल में रौब, आँखों में जुनून और चेहरे पर ऐसा तेज़ कि देखने वाला नज़रें मिलाने की हिम्मत भी ना करे। उसकी उपस्थिति ही लोगों की धड़कनें तेज़ कर देती है, क्योंकि अधिक राणा सिर्फ एक नाम नहीं, एक सत्ता है।

उसकी दुनिया में या तो लोग उसके साथ होते हैं, या फिर उसके ख़िलाफ़ ! मगर जो भी उसके खिलाफ़ जाता है, तो यह अध्याय राणा के शेर उसका नाम तक मिटा देते है।

"राजपूत हूँ... जीत मेरी आदत भी है, और ज़िद भी!

जिस पर मेरी मुहर लग जाए, वो मेरी अमानत बन जाती है, और जो मेरी अमानत पर नज़र डाले... उसकी दुनिया में सिर्फ अंधेरा बचता है!"

हर तरह से परफेक्ट अधिक राणा! जितना खतरनाक, उतना ही जुनूनी। गुस्सा तो जैसे उसकी रगों में लहू बनकर दौड़ता है, और उससे ज़रा सी भी गलती बर्दाश्त नहीं होती। दुनिया उसके आगे सिर झुकाती है, मगर उसने खुद आज तक सिर्फ एक औरत के सामने सिर झुकाया है-अपनी माँ, अद्विका राणा के आगे!

वरना अधिक राणा ने अपने पिता, अध्याय राणा के सामने भी कभी सिर नहीं झुकाया। क्योंकि उसका मानना था कि "राजपूत का सिर झुकता नहीं, कटता है! और अगर बात औरत की इज़्ज़त पर आए, तो सर धड़ से अलग करने में भी देर नहीं करनी चाहिए।"

ये सोच उसे अपने पिता से विरासत में नहीं, खून से मिली थी।

जिसकी सोच ही इतनी खतरनाक हो, उसकी रगों में बहता जुनून किस हद तक जाएगा, कौन जानता है!

जिस दिमाग पर हुकूमत किसी और की हो, लेकिन तक़दीर की डोर भगवान किसी और से बाँध दे...

तो फिर ये मोहब्बत होगी या जुनूनी जंग?

क्योंकि ये अधिक राणा की कहानी है... और अधिक राणा की दुनिया में या तो सब उसके मुताबिक चलता है, या फिर चलता ही नहीं!

जहां एक तरफ जूनूनी और आदर्शों की राह पर चलने वाला अधिक राणा है, वहीं दूसरी तरफ है अधीरा-उससे बिल्कुल उलट !

चंचल, मासूम, नटखट-एक ऐसी लड़की, जो जितनी कोमल है, उतनी ही निडर भी। 20 साल की अधीरा, 5'4" की हाइट, कमर तक लहराते लंबे बाल, दूध सा गोरा रंग और मासूमियत से भरा चेहरा ! लेकिन मत भूलिए... ये मासूमियत सिर्फ उसकी सूरत में है, सोच में नहीं।

क्योंकि अधीरा की पहचान उसकी बेखौफी है-जो सही है, वो मुँह पर कहने की हिम्मत रखती है, चाहे सामने अधिक राणा ही क्यों न हो।

अधीरा सिर्फ नाम नहीं, एक तूफान है- जो अपनी मर्जी की मालकिन है। मासूम इतनी कि हर दिल की लाडली बन जाए, और नटखट इतनी कि हर शख्स को अपनी हंसी में बांध ले। उसके अल्हड़पन की किलकारियाँ इतनी बुलंद हैं कि पूरा राजस्थान उसकी शोखी पर मुस्कुरा उठता है।

शांत समंदर नहीं, वो तो एक बवंडर है जो अपनी धुन में चलता है। निडर इतनी कि सच कहने से नहीं कतराती, और प्यारी इतनी कि हर कोई उसे सीने से लगाने को मजबूर हो जाए। लेकिन जब तक़दीर उसे अधिक राणा के सामने खड़ा कर देगी, तब क्या उसकी यही शोखी और बेबाकी उसे बचा पाएगी, या फिर... खेल की शर्तें ही बदल जाएँगी?

चलिए, एक बार फिर आपको ले चलते हैं राजस्थान की उस पवित्र भूमि पर, जहां इतिहास की मिट्टी में जुनून की कहानियाँ लिखी जाती हैं। जहां फिर एक नई दास्तान जन्म लेने वाली है-एक ऐसी दास्तान, जहां जुनून जुनून सर चढ़कर बोलेगा, और इस बार ऐसा बोलेगा कि हर उसूल, हर हद, और हर दीवार रेत की तरह ढह जाएगी!

यह कहानी है अधिक राणा की एक ऐसा नाम, जो सिर्फ सत्ता नहीं, बल्कि जुनून की अंतिम सीमा है। जहाँ मोहब्बत भी अपनी शर्तों पर होगी और नफरत भी अपनी हदों को पार करेगी। और जब अधिक राणा की जिद और उसकी हुकूमत टकराएगी, तो क्या होगा-इश्क या सत्ता? जुनून या बगावत ? राजस्थान एक बार फिर गवाह बनेगा, एक ऐसी दास्तान का, जिसे लोग सदियों तक भूल नहीं पाएंगे।

हर कहानी में एक नायक होता है, एक खलनायक होता है... लेकिन जब जुनून अपनी हदें पार करता है, तो कौन किस किरदार में होगा, यह तय करना मुश्किल हो जाता है। सोचिए, जब अधिक राणा की कहानी खुलेगी, तब क्या होगा? बताइए, क्या आप इसके लिए तैयार हैं?

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Khushi

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